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हमी में है छुपा बैठा, हमारे पास बिल्कुल है : स्वामी राम शंकर

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"निर्वाण" : स्वामी राम शंकर की कविता। सुख की चाह में, दर दर भटकते है, न जाने कितने दिन, महीने हम खर्च करते हैं। लगा देते है अपना सब,बस सुख की ख्वाहिश में, नही मिलता जहाँ से, चाहते हैं , तृप्ति जीवन में। नही बाहर है, जो हम ढूंढते फिरते भटकते है, हमी में है छुपा बैठा, हमारे पास बिल्कुल है । नज़र को फेर लो, बाहर से अन्दर देखते जाओ, जो बाहर है, उसे बस तुम सदा अब छोड़ते जाओ। जो केवल वस्तु अनुभवगम्य और अद्वै अगोचर है। वही हम है, वहीं सुख है। वही निर्वाण मुक्ति है। :- स्वामी राम शंकर।