कौन अपना कौन पराया । ये बात ! अभी तक नहीं समझ पाया ।। परायो में कोई अपना , अपनों में पराया अक्सर नज़र आया ।। कुछ भी नहीं है पक्का, जीवन के सफ़र में यारा । कौन कब देगा धोखा , ये कोई नहीं परख पाया ।।
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देख कर दिल दहल जाता है
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उन्हें देख कर दिल दहल जाता है, उनकी जिंदगी जब नज़र आता है। वो किकुर जाते है ठिठुर जाते है , ठण्ड से हरवक्त सिकुड़ जाते है। तन पे कपड़े नहीं ठीक से होते है , ठण्ड लगाती है तो वे सिहर जाते है। हर सुबह खोज होती है एक काम की , मिलजाए रोटी सुबह शाम की। पेट भरता नहीं हर किसी का सही , कोई खता है कोई सो जाता है। नींद टूटती है उनकी रातो को जब , ठण्ड की रात उनको सजा होती है। किस तरह काटते है रात को , कोई पूछे भला तो बताएँगे वो। एक तड़प साथ होती है आँखों में सदा , फिर भी! जीते है जीवन सदा ही सदा। SWAMI RAM SHANKAR