सम्वेदना मुझमे भी है
खुली हवा में हम भी, श्वास लेना चाहते है। परिंदो सा पंख उगा के, हम भी उड़ना चाहते है।। मर्यादित रह कर जिंदगी के, मायने समझना चाहते है। तुम्हारे लिये नही! हम अपने लिये जीना चाहते है।। सम्वेदना मुझमे भी है, क्यों कहते हो कि मैं तो संन्यासी हूँ। मेरे जीवन मेरे संन्यास मेरे व्यवहार से जब तुम आहत होना तो कह देना छोड़ देंगे,पर अपने विचार पुराने विचार हम पर थोपो मत। #रामशंकर